Saturday, January 15, 2011

karya palika, nayay palika

कार्यपालिका

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कार्यपालिका

संघीय कार्यपालिका में राष्‍ट्रप‍ति, उप राष्‍ट्रपति और राष्‍ट्रपति को सहायता करने एवं सलाह देने के लिए अध्‍यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री के साथ मंत्रिपरिषद शामिल हैं।

राष्‍ट्रपति राष्‍ट्रपति का चुनाव निर्वाचिका के सदस्‍यों द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के चयनित सदस्‍य, समानुपातिक प्रतिनिधित्‍व प्रणाली के अनुसार राज्‍यों में विधान सभा के सदस्‍यों के द्वारा एकल अंतरणीय मत में द्वारा होता है। राज्‍यों के बीच परस्‍पर एकरूपता लाने के लिए तथा सम्‍पूर्ण रूप से राज्‍यों और केंद्र के बीच संगतता लाने के लिए प्रत्‍येक मत को उचित महत्‍व दिया जाता है। राष्‍ट्रपति को भारत का नागरिक होना आवश्‍यक है, उनकी आयु 35 वर्ष से कम न हो, और वह लोक सभा के सदस्‍य के रूप में चुने जाने के योग्‍य हो। उनके कार्य की अवधि पांच वर्ष की होती है और वह पुनर्निवाचन के लिए पात्र होता है। उन्‍हें पद से हटाने की प्रक्रिया संविधान की धारा 61 में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार होती है। वह अपने हाथ से उप-राष्‍ट्रपति को अपने पद से इस्‍तीफा देने के लिए संबोधन करते हुए पत्र लिख सकते हैं।

केंद्र की कार्यपालिका शक्ति राष्‍ट्रपति को प्राप्‍त है, और उसके द्वारा प्रत्‍यक्ष रूप से या उसके अधीन अधिकारियों के जरिए संविधान के अनुसार अधिकार का प्रयोग किया। संघ के रक्ष बलों का सर्वोच्‍च शासन भी उसी का होता है। राष्‍ट्रपति सत्रावसान का आहवान करता, संबोधित करता है, संसद को संदेश भेजता और लोकसभा भंग करता है, किसी भी समय अध्‍यादेश जारी करता जैसे समय को छोड़कर जब संसद के दोनों सदनों में सत्र चल रहा हो, वित्‍तीय और धन विधेयक लाने की सिफारिश करने, प्राणदंड स्‍थगित करने, सजा को कम करने या क्षमा करने या निलम्बित करने एवं कुछ मामलों में सजाओं को माफ करने या रूपातंरण का कार्य करता है। जब राज्‍य में संवैधानिक मशीनरी विफल हो जाती है वह राज्‍य सरकार के सभी या कुछ कार्यों को अपने ऊपर ले लेता है। यदि उसे लगता है कि गंभीर एमर्जेन्‍सी उत्‍पन्‍न हुई है तो वह देश में एमर्जेन्‍सी की घोषणा कर सकता है जिसके द्वारा भारत या इसके किसी किसी क्षेत्र की सुरक्षा को खतरा होता है यह या तो युद्ध के द्वारा या बाह्य आक्रमण या हथियारबंद विद्रोह के द्वारा होता है।

उप राष्‍ट्रपति

उप राष्‍ट्रपति का चुनाव निर्वाचिका के सदस्‍यों द्वारा होता है जिसमें एकल हस्‍तांतरीय मत द्वारा समानुपातिक प्रतिनिधित्‍व प्रणाली के अनुसार संसद के दोनों सदनों के सदस्‍य होते हैं। वह भारत का नागरिक हो उसकी आयु 35 वर्ष से कम न हो, और राज्‍य सभा के सदस्‍य के रूप में चुनाव के लिए पात्रता रखता हो। उसके पद की अवधि पांच वर्ष की होती है और वह पुननिर्वाचन का पात्र होता है। अनुच्‍छेद 67 ख में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार इसे पद से हटाया जाता है।

उप राष्‍ट्रपति राज्‍य सभा का पदेन सभापति होता है और जब बीमारी या किसी अन्‍य कारण से या नए राष्‍ट्रपति के चुनाव होने तक यह छह माह के भीतर किया जाता है यदि यह रिक्ति मृत्‍यु के कारण होती है, राष्‍ट्रपति के इस्‍तीफा देने या अन्‍यथा पद से हटाए जाने के कारण होती है। राष्‍ट्रपति के अनुपस्थित रहने के कारण अपने कार्यों का निष्‍पादन करने में असमर्थ होता है तब राष्‍ट्रपति के रूप में कार्य करता है।

मंत्री परिषद

राष्‍ट्रपति को उनके कार्यों में सहायता करने और सलाह देने के लिए प्रधानमंत्री के नेतृत्‍व में मंत्री परिषद होती है। प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्‍ट्रपति द्वारा की जाती है वह मंत्री की सलाह पर अन्‍य मंत्रियों की भी नियुक्ति करता है। परिषद सामूहिक रूप से लोक सभा के प्रति उत्‍तरदयी होती है। संघ के प्रशासन या कार्य और उनसे संबंधित विधानों और सूचनाओं के प्रस्‍तावों से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों की सूचना राष्‍ट्रपति को देना प्रधानमंत्री का कर्तव्‍य हैं।

मंत्रि परिषद में मंत्रिपरिषद के मंत्री, राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार), राज्‍य मंत्री और उप मंत्री होते हैं

न्यायपालिका (Judiciary या judicial system या judicature) किसी भी जनतंत्र के तीन प्रमुख अंगों में से एक है । अन्य दो अंग हैं - कार्यपालिका औरव्यवस्थापिका। न्यायपालिका, संप्रभुतासम्पन्न राज्य की तरफ से कानून का सही अर्थ निकालती है एवं कानून के अनुसार न चलने वालों को दण्डित करती है। इस प्रकार न्यायपालिका विवादों को सुलझाने एवं अपराध कम करने का काम करती है जो अप्रत्यक्ष रूप से समाज के विकास का मार्ग प्रशस्त करता है। 'शक्तियों के पृथक्करण सिद्धान्त के अनुरूप न्यायपालिका स्वयं कोई नियम नहीं बनाती और न ही यह कानून का क्रियान्यवन कराती है।

सबको समान न्याय सुनिश्चित करना है न्यायपालिका का असली काम है। न्यायपालिका के अन्तर्गत कोई एक सर्वोच्च न्यायालय होता है एवं उसके अधीन विभिन्न न्यायालय (कोर्ट) होते हैं।

भारत की स्वतंत्र न्यायपालिका का शीर्ष सर्वोच्च न्यायालय है, जिसका प्रधान प्रधान न्यायाधीश होता है । सर्वोच्च न्यायालय को अपने नये मामलों तथा उच्च न्यायालयों के विवादों, दोनो को देखने का अधिकार है । भारत में 21 उच्च न्यायालय हैं, जिनके अधिकार और उत्तरदायित्व सर्वोच्च न्यायालय की अपेक्षा सीमित हैं । न्यायपालिका और व्यवस्थापिका के परस्पर मतभेद या विवाद का सुलह राष्ट्रपति करता है ।

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