दोस्तों मई आप का ध्यान कुम्भ की स्नान की ओर ले जाना चाहता हु । जैसा की आपको पता है की मैमीडिया की पढाई कर रहा हु और अमर उजाला में रिपोर्टिंग कर रहा हु। तो मैंने कुम्भ के अवसर पर हरिद्वार जाने का विचार बनाया मेरे साथ मेरे कुछ दोस्त जो अमर उजाला में रिपोर्टर है साथ थे जैसे ही हमने हरिद्वार में कदम रखा अव्यवस्था साफ़ झलक रही थी । हमे कई किलोमीटर का पैदल सफ़र करना पड़ा परन्तु हमे इससे कोई आपति नहीं है हमे बुरी लगी तो ये बात की कुछ विदेशी पर्यटकों को छोटे रस्ते से निकला जा रहा था जबकि जो लाचार थे उनको उस रास्ते से नहीं जाने दे रहे थे। मुझे तो ये कुम्भ अंग्रेजो के ज़माने का लगरहा था । आप इसे मेरी निजी राइ मान सकते है परन्तु आप मुझे ये बताइए की एक बूढ़े लंगड़े को उस सरल रस्ते की जरूरत थी या फिर उन विदेशीयो को खैर आप खुद समझदार है। मै आप का ध्यान इस ओर इस लिए लेकर जाना चाहूँगा क्यूंकि आजकल आरक्षण का मुद्दा गरमाया है आप इस घटना को इस तरह से देखो की जो विदेशी है वो ऐसे अयोग्य है जिन्हें उस सरल रस्ते से एक तरह का आरक्षण देकर निकल दिया और बूढ़े और विकलांग को उस जगह के आस पास भी नहीं फटकने दिया । मतलाब ये है की कौन पात्र है और कौन नहीं ये निर्धारण करने के लिए कोई संकीर्ण मानसिकता वाला व्यक्ति नहीं होना चाहिए । मै यहाँ पर ये भी कहना चाहूँगा की जो ये महिला आरक्षण की बात है वो एक तरह से देश को खोकला बनाने की एक चाल है अब मै अपनी बात ख़तम करता हु
जय भारत । जय हिंद
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