Tuesday, March 16, 2010

शक्ति पीठ भद्रकाली के पीठ अध्यअक्ष पंडित सत्पाल शर्मा ने बताया की देश भर में नवरात्रि पर्व बड़ी धूम-धाम से मनाया जा रहा है, भारत की 52 शक्ति पीठों में से एक शक्ति पीठ हरियाणा की धर्म नगरी कुरुक्षेत्र में है जहाँ पर नवरात्रों में शर्धालुओं की भारी भीड़ रहती है, पौराणिक कथाओं के अनुसार यहाँ देव आदि देव भगवान् शिव की पत्नी सती के दाये पैर का टखना गिरा था यह देश की 52 शक्ति पीठो में से एक है कुरुक्षेत्र धर्म भूमि पर यह पुराणिक शक्ति पीठ भद्रकाली के नाम से विख्यात है महाभारत के युद्ध से पूर्व पांडवो ने इसी शक्ति पीठ में आराधना करके विजय की कामना की थी, महाभारत युद्ध के बाद भगवान् श्री कृष्ण ने सबसे सुंदर घोडों की जोड़ी इसी मन्दिर में चढाई थी, प्रचलित कथाओं के अनुसार बाल्य काल में भगवान् श्री कृष्ण का मुंडन सस्कार भी इसी शक्ति पीठ में हुआ था, पौराणिक कथाओं के अनुसार सती दक्ष प्रजापति की पुत्री और भगवान शंकर की पत्नी थी, एक बार दक्ष प्रजापति ने हरिद्वार के पास कनखल में गंगा के तट पर ब्रहस्पति स्व यज्ञ का आयोजन किया दक्ष प्रजापति ने सभी देवी देवताओ को यज्ञ में आमित्रित किया लेकिन देव आदि देव भगवान शंकर को यज्ञ का निमत्रण नही भेजा इस बात से खिन सती अपने पति का तिरस्कार सहन नही कर पाई और तिरस्कार का कारण जानने के लिए यज्ञ स्थल पर पहुच गई गुस्से से भरी सती हवन कुण्ड में कूद पड़ी. देव आदि देव भगवान शंकर को सती के हवन कुण्ड में कूदने का पता चला तो वह यज्ञ स्थल पर पहुंचें और आपनी योग शक्ति से सती को हवन कुण्ड से निकाल लिया. मोह वश कंधे पर सती के शव को उठा कर ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने लगे देव आदि देव का मोह भंग करने के लिए भगवान् विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के टुकड़े टुकड़े कर डाले. वामन पुराण के अनुसार जहाँ- जहाँ सती के शरीर के टुकड़े गिरे उन स्थनो को शक्ति पीठ कहा गया. कुरुक्षेत्र के इस स्थान पर सती के दाए पैर का टखना गिरा था जिसे शक्ति पीठ के नाम से जाना जाता है. वही श्रद्धालु कलावती ने बताया की वह यह कई वर्षो से आ रही हे ओर यह आने से मनो कामना पुरी होती हे

महा कुम्भ के हाल


दोस्तों मई आप का ध्यान कुम्भ की स्नान की ओर ले जाना चाहता हु । जैसा की आपको पता है की मैमीडिया की पढाई कर रहा हु और अमर उजाला में रिपोर्टिंग कर रहा हु। तो मैंने कुम्भ के अवसर पर हरिद्वार जाने का विचार बनाया मेरे साथ मेरे कुछ दोस्त जो अमर उजाला में रिपोर्टर है साथ थे जैसे ही हमने हरिद्वार में कदम रखा अव्यवस्था साफ़ झलक रही थी । हमे कई किलोमीटर का पैदल सफ़र करना पड़ा परन्तु हमे इससे कोई आपति नहीं है हमे बुरी लगी तो ये बात की कुछ विदेशी पर्यटकों को छोटे रस्ते से निकला जा रहा था जबकि जो लाचार थे उनको उस रास्ते से नहीं जाने दे रहे थे। मुझे तो ये कुम्भ अंग्रेजो के ज़माने का लगरहा था । आप इसे मेरी निजी राइ मान सकते है परन्तु आप मुझे ये बताइए की एक बूढ़े लंगड़े को उस सरल रस्ते की जरूरत थी या फिर उन विदेशीयो को खैर आप खुद समझदार है। मै आप का ध्यान इस ओर इस लिए लेकर जाना चाहूँगा क्यूंकि आजकल आरक्षण का मुद्दा गरमाया है आप इस घटना को इस तरह से देखो की जो विदेशी है वो ऐसे अयोग्य है जिन्हें उस सरल रस्ते से एक तरह का आरक्षण देकर निकल दिया और बूढ़े और विकलांग को उस जगह के आस पास भी नहीं फटकने दिया । मतलाब ये है की कौन पात्र है और कौन नहीं ये निर्धारण करने के लिए कोई संकीर्ण मानसिकता वाला व्यक्ति नहीं होना चाहिए । मै यहाँ पर ये भी कहना चाहूँगा की जो ये महिला आरक्षण की बात है वो एक तरह से देश को खोकला बनाने की एक चाल है अब मै अपनी बात ख़तम करता हु

जय भारत । जय हिंद

Thursday, March 11, 2010

हमे कुछ करना होगा


आज हम हर काम को दुसरो पर टालते हुए उदासीनता की ओर अग्रसर हो रहे है हमे ये उदासीनता त्याग कर तत्परता की ओर अग्रसर होना होगा । मैयहाँ कोई उपदेश नहीं देना चाहता हु बल्कि मै तो ये छठा हु की हमारे देश का हर नागरिक अपनी नैतिक जिम्मेदारी को समझे ओर देश की प्रगति में अपना योगदान दे । यहाँ हमे अपने व्यक्तिगत स्वार्थ को छोड़ कर राष्ट्र हित की बात करनी चाहिए । हमे ये मालुम होना चाहिए की कौन सी बात हमारे लिए ओर हमारे देश के लिए अहितकर साबित हो सकती है । हम कुछ छोटी छोटी बातो का ध्यान रखना होगा ये बाते इस प्रकार है । अपना टेक्स सही पूरा ओर सही समय पर भरे, अफवाहों की ओर ध्यान न दे, अपनी नैतिक जिम्मेदारियों को समझे, अपने अधिकारों के प्रति सजग रहे । तो आज मेरे साथ आप लोग कसम खाओ की आज से हम एक जिम्मेदार नागरिक के कर्तव्यों का पालन करेंगे और देश की प्रगति में अपना योगदान देंगे ।
धन्यवाद
भारत का एक जिम्मेदार नागरिक
विवेक शुक्ल

आज का इंसान

आज का इंसान इंसानियत को भूलता जा रहा है

Tuesday, March 9, 2010

आँखों में खून



आँखों में खून उतर आया है लोगो के

नाकोई भाई है न कोई अपना है दुनिया में

Monday, March 1, 2010

होली को लगी डेरा समर्थको की नजर

सोमवार को जहा सारा देश होली के रंग में डूबा था वही हरियाणा, पंजाब डेरा समर्थको के उत्पात के कारणसुलगते रहे। केंद्र से सैनिक मदद मिलने के कारण असमाजिक तत्व अपने मनसूबे पुरे करने में नाकामयाब रहे। होली दे एक दिन पहले बी डी पी ओ की जीप में आग लगा दी गई । हलाकि चौकीदार की चौकसी से ज्यादा नुक्सान नहीं हो पाया। होली के इस पावनपर्व पर जो असामाजिक तत्वों ने देश की अखंडता को तोड़ने का प्रयत्न किया वो नाकाम हो गया। आज हमे ये सोचने की जरूरत है की हमे ज्यादा खतरा किससेहै देश के बहार से आने वाले लोगो से या देश के अन्दर रहकर देश की जड़ो को खोकला करने वालो से। बात साफ़ है अन्तंक वाद देश का उतना नुक्सान नहीं जितना नक्सलवाद और माओवाद । अब तो देश में धर्म के नाम पर लोग शास्त्र उठा के अपने ही देश वासियों के विरुद्ध खड़े हो रहे है मै किसी विशेस धर्म की बात नहीं करना चाहूँगा पर मै ये बात जरूर कहूँगा की यदि हमारे देश में इस प्रकार के दंगे होते रहे तो कुछ साल बाद भारत का वजूद ख़त्म होगा और नजाने कितने टुकड़े हो जाए हमारे इस अखंड देश के। श्याद अपने कभी सोचा न हो मगर सोच के देखो की आप को पंजाब में जाने के लिए खालिस्तान का वीजा लगवाना पड़ेगा और महाराष्ट्र में जाने के लिए वह का वीजा । दिल सोच कर उदास हो जाता है हमारे देश के दुश्मन हमारे कितने करीब है। मै आप लोगो से ये नहीं कह रहा हु की अब हाथ धो कर उनके पीछे पड़जाओ मै तो चाहता हु की आप लोग अपने स्टार पर उनलोगों को समझाओ और आप ये भी तो सोचो की वो भी हिन्दुस्तानी भाई है हमारे और उनका दिल भी हिन्दुस्तानी है बस देर है तो बस इस बात की उनकी आत्मा उन्हें धिक्कारे और वे फिर से एक सच्चे हिन्दुस्तानी बने और अपना जिवें देश को समर्पित करे।
इसी के साथ मै आपनी बात समाप्त करता हु
जय हिंद मेरा अखंड भारत महान