Monday, May 10, 2010

bharstachar

कल से स्पीकर पर चारों ओर से देश भक्ति पूर्ण गाने बज रहे हैं. एक गाना बारंबार बज रहा है – जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया… सुन सुन कर कोफ़्त सी होने लगी. वास्तविकता तो कुछ और है. वास्तविकता कड़वी है मेरे दोस्त. बहुत कड़वी. कुछ इस तरह -
जहाँ डाल-डाल पर भ्रष्ट कोड़े करते हैं बसेरा
वो भारत देश है मेरा
जहाँ असत्य, हिंसा और अधर्म का पग-पग लगता डेरा
वो भारत देश है मेरा
ये धरती वो जहाँ एसपीएस राठौर जैसे अधिकारियों का बोलबाला
जहाँ हर बालक एक बाल मजदूर है और हर राधा एक हाला
जहाँ देश के लुटेरे नेता सबसे पहले आ कर डाले अपना फेरा
वो भारत देश है मेरा
अलबेलों की इस धरती के व्यवहार भी हैं अलबेले
कहीं रिश्वत की जगमग है कहीं हैं भाई-भतीजावाद के मेले
जहाँ लालफीताशाही और अकर्मण्यता का चारों ओर है घेरा
वो भारत देश है मेरा
जब कटुता पैदा करते मस्जिद और शिवाले
जहाँ हर नगर में कूड़ाकरकट गंदगी धूल फैला डाले
भ्रष्टाचार की बंसी जहाँ बजाता है ये शाम सवेरा
वो भारत देश है मेरा

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