1. महिला आरक्षण बिल पास हो गया तो शहाबुद्दीनों, पप्पू यादवों का क्या होगा और राजनीतिक पार्टियाँ चुनाव जीतने के लिए महिला-शहाबुद्दीनों, स्त्री-पप्पू यादवों को कहाँ से लाएँगे?
2. मंत्री/सांसद जो देश/राज्य को छोड़कर सिर्फ और सिर्फ अपने चुनाव क्षेत्र के लिए काम करते हैं, योजना बनाते हैं, बाकी दूसरे क्षेत्र की और आँख मूंद लेते हैं उनको अब दूसरे क्षेत्र की और भी जबरिया देखना होगा. क्योंकि क्या पता अगले चुनाव में उनका क्षेत्र महिला के लिए आरक्षित हो गया तो उन्हें कहीं और से लड़ना पड़ेगा. ये कहां की तुक और कहां का न्याय है. ये तो प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है.
3. महिला आरक्षण बिल पास हो गया तो देश में राबड़ी और माया जैसे देवियों और वतियों का राज होने की संभावना प्रबल है – जिसके बारे में सोचकर रूह कांप जाती है.
4. देश के कुंवारे राहुलों को शादी करनी पड़ेगी – क्योंकि जब अगली बारी में उनके चुनाव क्षेत्र महिला के लिए आरक्षित घोषित कर दिए जाएँ, तो क्षेत्र हाथ से न निकले, घर ही में, पत्नी के पास रहे.
5. 33 प्रतिशत पुरुष सांसद चुनाव जीतने के बाद अपने क्षेत्र के लिए कोई काम ही नहीं करेंगे, क्योंकि उन्हें संभावना में ये दिखाई देता रहेगा कि अगली बारी में उनका क्षेत्र स्त्री के लिए आरक्षित हो जाएगा तो फिर फोकट में सिर फुटव्वल क्यों?
6. 50 प्रतिशत मामलों में महिला आरक्षण का कोई अर्थ इसलिए नहीं होगा क्योंकि इन संसदीय क्षेत्रों में एक बार पति चुनकर आएंगे तो अगली बार पत्नी. सांसद पति रहे या पत्नी क्या फर्क पड़ता है? कई मामलों में मां-बेटा, बेटी-बाप, बहू-ससुर का बढ़िया, उदाहरण योग्य कॉम्बीनेशन भी बनेगा.
7. महिला आरक्षण बिल के पारित हो जाने से भारतीय संसद की नित्य गिरती गरिमा (सांसदों के आपसी जूतम पैजार और आपराधिक पृष्ठभूमि वाले सांसदों की वजह से) में ठहराव व उलटे गरिमा में उत्थान की संभावना है जो भारतीय लोकतंत्र के लिहाज से कतई स्वास्थ्यवर्धक नहीं है. इसीलिए इस बिल को किसी सूरत पास नहीं होना चाहिए.
8. भारतीय संसद तो बेकार की लफ़्फ़ाजियों, थोथे भाषण, धरना प्रदर्शन, अकारण विरोध, जूतम-पैजार इत्यादि के लिए है. काम-धाम का वहाँ क्या लेना देना? 33 प्रतिशत स्त्रियों को अकारण ही इसमें झोंके जाने की साजिश मात्र है यह बिल.
9. सुखराम और मधु कोड़ा बनने के सपने पर अब तक पुरुषों का ही अधिकार था. महिलाओं को भी ऐसे सपने देखने की सुविधा प्रदान करने वाला है यह बिल. स्त्रियों को फंसाने की साजिश है यह बिल. ऐसे सड़ियल स्वप्न दिखाने वाले इस बिल का स्त्रियों को स्वयं पुरजोर विरोध करना चाहिए.
10. आपको क्या लगता है? आम स्त्री के लिए है यह बिल? दरअसल यह बिल खांटी, जमे हुए राजनीतिक नेताओं के मां-बहन-बेटी-बहू को (इनकम्बेंसी फैक्टर की वजह से अपनी हार से बचने के लिए,) अगले चुनावों में सांसद बनाने की राजनीतिक चाल है यह बिल!
आइए, जी जान से विरोध करें इस तथाकथित महिला आरक्षण बिल का.
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