सिर्फ न्यायालय ही क्यों श्रीमान?
गुजरात उच्च-न्यायालय का मानना है कि वहां की ज्यूडिशियरी में किसी को भी खरीदा जा सकता है. बजा फरमाया योर ऑनर! पर सिर्फ ज्यूडिशियरी की बात क्यों, भारत में ऐसा कोई इन्टैक्ट तंत्र बता दें जहाँ किसी को खरीदा नहीं जा सकता.
आप बता सकते हैं?
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व्यंज़ल 
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हर कोई बिकता है यहाँ लेवाल चाहिए 
सोहनी के देश में एक महिवाल चाहिए 
जवाब तो हर किसी के पास है इधर 
यहाँ तो बस एक अदद सवाल चाहिए 
मुरदों के शहर में हमारा क्या काम 
हमें तो रोज एक नया बवाल चाहिए 
मेरे मोहल्ले के बाशिंदों को दोस्तों  
खिड़की दरवाजे नहीं दीवाल चाहिए 
मामूली से रवि को कोई पूछता नहीं 
सब को अब हर तरफ कमाल चाहिए
 
 
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